Ekta Singh

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मेरे हमसफर

तुमसे बात करूँ आज मन नहीं है। 
तुम से तकरार करूँ आज मन नहीं है।
झूठी सी हँसी हँसू आज मन नहीं है।
इन आँखों में बसूॅ आज मन नहीं है।

खुद को आईने में सजाऊॅ आज मन नहीं है। 
आँखों में काजल लगाऊँ आज मन नहीं है।
होठों पे लाली सजाऊॅ आज मन नहीं है।
केशो मे गजरा महकाऊॅ आज मन नहीं है।

शब्दों की माला पिरोऊॅ आज मन नहीं है।
तुम मेरा हाल ना पूछो आज मन नहीं है।
मेरी तारीफ ना करो आज मन नहीं है।
चारों ओर काम है पड़े आज मन नहीं है।

ये हँसी ठिठोली ना करो आज मन नहीं है।
नीले अंबर को देखूॅ आज मन नहीं है। 
मन के द्वार को खोलू आज मन नहीं है।
छुपे अश्कों को दिखाऊॅ आज मन नहीं है।

 तुम खाना जरा बना दो आज मन नहीं है।
 तुम मुझे जरा संवार दो आज मन नहीं है
पढ़ो आंखों की उदासी को क्यों आज मन नहीं है।
सुनो अनकहे शब्दों को क्यों आज मन नहीं है।
















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4 Comments

शानदार प्रस्तुति 👌

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Supriya Pathak

08-Dec-2022 09:41 PM

Bahut sundar 💐👌

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Parangat Mourya

08-Dec-2022 05:42 PM

Behtreen 🙏🌸👌

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Ekta Singh

08-Dec-2022 07:24 PM

Thankyou so much

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