मेरे हमसफर
तुमसे बात करूँ आज मन नहीं है।
तुम से तकरार करूँ आज मन नहीं है।
झूठी सी हँसी हँसू आज मन नहीं है।
इन आँखों में बसूॅ आज मन नहीं है।
खुद को आईने में सजाऊॅ आज मन नहीं है।
आँखों में काजल लगाऊँ आज मन नहीं है।
होठों पे लाली सजाऊॅ आज मन नहीं है।
केशो मे गजरा महकाऊॅ आज मन नहीं है।
शब्दों की माला पिरोऊॅ आज मन नहीं है।
तुम मेरा हाल ना पूछो आज मन नहीं है।
मेरी तारीफ ना करो आज मन नहीं है।
चारों ओर काम है पड़े आज मन नहीं है।
ये हँसी ठिठोली ना करो आज मन नहीं है।
नीले अंबर को देखूॅ आज मन नहीं है।
मन के द्वार को खोलू आज मन नहीं है।
छुपे अश्कों को दिखाऊॅ आज मन नहीं है।
तुम खाना जरा बना दो आज मन नहीं है।
तुम मुझे जरा संवार दो आज मन नहीं है
पढ़ो आंखों की उदासी को क्यों आज मन नहीं है।
सुनो अनकहे शब्दों को क्यों आज मन नहीं है।
ग
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
08-Dec-2022 10:53 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Supriya Pathak
08-Dec-2022 09:41 PM
Bahut sundar 💐👌
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Parangat Mourya
08-Dec-2022 05:42 PM
Behtreen 🙏🌸👌
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Ekta Singh
08-Dec-2022 07:24 PM
Thankyou so much
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